Sunday, February 5, 2017

*"विकार भेद"*

प्रश्न - विकार कितने प्रकार के हैं ? और वो कोनसे हैं ?
उत्तर - विकार दो प्रकार के हैं, मूल विकार और उप विकार | मूल विकार "अहं" है (आपके अदूेत सत्य आनंद स्वरूप से अन्य जो अपना अस्तितव मान रखा है,, जिसमें परमात्मा से अलगाव महसूस हो रहा है ये अहं है ) और काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ये उप विकार हैं |
मूल विकार के समाप्त हुये बिना उपविकार समाप्त नही हो सकते ये असम्भव है.. और हम अन्नत जन्मो से यही भूल कर रहे हैं |

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Friday, February 3, 2017

सुप्रभात जी

यह संसार दो प्रकार का है- एक स्थूल, दूसरा सूक्ष्म | शब्दादिक विषय सम्बन्धी जितने भौतिक पदार्थ हैं, वही स्थूल संसार है एवं इन पदार्थों रे संयोग से हृदय में जो बलवती कामना है वही सूक्ष्म संसार है | स्थूल संसार के छोड़ देने से सूक्ष्म संसार नहीं समाप्त होता अर्थात् सांसारिक पदार्थों के परित्याग मात्र से इच्छायें नहीं समाप्त होतीं | किन्तु यदि इस स्थूल व सूक्ष्म के जंजाल से परे अस्तित्व व उस से भी परे  मूल आनंद अर्थात शूद्ध *सवंय*  का बोध हो जाय तो सूक्ष्म संसार अर्थात् इच्छाओं और स्थूल संसार का भान ही नहीं रहता |  इसलिय तू निरन्तर उस पद का बोध कर समस्त कामनाओं का परित्याग अपने आप हो जायगा | नही तो तू मुर्खों
की भांती जीवन व्यर्थ कर अवसर गवां देगा |
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प्रणाम जी