मैं को केसे मारें
मैं को मारने का सबसे उत्तम उपाये यह है की अपने ह्रदय मे बैठे प्रमात्मा का नाम मैं रख दें अर्थात जैसे सब का कोइ नाम होता है जिस से हम अहंम भाव को ग्रहण करते हैं ..उदाहरण के लिये अगर जैसे मेरा नाम प्रवीन है इसी नाम से मैं अपने लिय बोले गये मान अपमान को ग्रहण करता हूं तो अगर यही नाम मैं अपने ह्रदय मे बैठे प्रमात्मा का रख दूं तो अगर कोई ये कहे की प्रवीन जी आप धन्य हैं आपके चरणों में परणाम तो अगर ये बात मैं इस शरीर के नाम को दे दूं तो अहंकार मे निशचय ही व्रद्धि होगी..और अगर मैं बीच से हट जाउं और सीधा उस प्रवीन ह्रदय में बैठे प्रमात्मा (जिसका नाम प्रवीन मान्ता हू) को दे दूं तो अहंम भाव की जगह प्रमात्मा में ध्यान लगेगा अर्थात इस शरीर मे केवल एक ही मैं रहेगी और वो होगी प्रमातमा की...आप और प्रमातमा एक रूप हो जाऐंगें ..हर समय उस परवीन की और ध्यान रहेगा जो प्रवीणो का प्रवीण हैं....उपाय करके देखीये अवशये असर करेगा ।
प्रणाम जी
मैं को मारने का सबसे उत्तम उपाये यह है की अपने ह्रदय मे बैठे प्रमात्मा का नाम मैं रख दें अर्थात जैसे सब का कोइ नाम होता है जिस से हम अहंम भाव को ग्रहण करते हैं ..उदाहरण के लिये अगर जैसे मेरा नाम प्रवीन है इसी नाम से मैं अपने लिय बोले गये मान अपमान को ग्रहण करता हूं तो अगर यही नाम मैं अपने ह्रदय मे बैठे प्रमात्मा का रख दूं तो अगर कोई ये कहे की प्रवीन जी आप धन्य हैं आपके चरणों में परणाम तो अगर ये बात मैं इस शरीर के नाम को दे दूं तो अहंकार मे निशचय ही व्रद्धि होगी..और अगर मैं बीच से हट जाउं और सीधा उस प्रवीन ह्रदय में बैठे प्रमात्मा (जिसका नाम प्रवीन मान्ता हू) को दे दूं तो अहंम भाव की जगह प्रमात्मा में ध्यान लगेगा अर्थात इस शरीर मे केवल एक ही मैं रहेगी और वो होगी प्रमातमा की...आप और प्रमातमा एक रूप हो जाऐंगें ..हर समय उस परवीन की और ध्यान रहेगा जो प्रवीणो का प्रवीण हैं....उपाय करके देखीये अवशये असर करेगा ।
प्रणाम जी
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