Friday, July 24, 2015

मुने अमल मायानो जोर हुतो, तमे ते माटे कीधो अंतर। हवे तमे पडदा टाल्या रे वाला, आप छपसो केही पर।।

मुझ पर मायाका प्रबल मद चढ़ा हुआ था, इसलिए आपने मुझसे अन्तर किया है. हे प्रियतम धनी ! अब जब आपने अज्ञानताका आवरण हटा लिया है तो आप कैसे छिप सकेंगे ?

अर्थात जब तक हमारा मन माया के अंधकार में रहता हमे परमात्मा के विषय में ज्ञान नही  हो  पाता ओर जब हमारा मन लगातार परमात्मा विषय में आनंद लेने लगता है तब परमात्मा अपना परिचय खुद देने लगते हैं |

प्रणाम जी

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