Sunday, July 26, 2015

परमगती दाता कौन

आनन्दस्य कुलं प्राप्तं नित्येधाम्नी प्रकिर्तितम । सम्प्रदायश्चिदानन्दो निजानंदै: प्रकाशित: ।।

(श्री माहे०तं०)

सम्पूर्ण चौरासी लाख योनी के प्रमुख श्रोत जीवात्मा (आदि नारायण) से बलवान अक्षर ब्रह्म है क्योंकि इन के द्वारा नारायण की उत्पति हुइ है। अव्यक्त कूतस्थ अक्षर ब्रह्म से परे परमपुरुष परब्रह्म परमात्मा अक्षरातीत हैं । उन से परे कुछ भी नहिं है, वही सब की परम अवधि और परमगति भी है .
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प्रणाम जी

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