जब बैठे हक दिल में, तब रूह खड़ी हुई जान|
हक आए दिल अरस में, रूह जागे का एह निसान||
जब परमात्मा हमारे आत्म हृदय रूपी धाम में विराजमान हो जाते हैं, तब आत्मा जागृत हो गई है, ऐसा समझना चाहिए| इस प्रकार ब्रह्मात्माओं के हृदय में परमात्मा का पदार्पण होना ही आत्म जागृति का लक्षण है|
प्रणाम जी
हक आए दिल अरस में, रूह जागे का एह निसान||
जब परमात्मा हमारे आत्म हृदय रूपी धाम में विराजमान हो जाते हैं, तब आत्मा जागृत हो गई है, ऐसा समझना चाहिए| इस प्रकार ब्रह्मात्माओं के हृदय में परमात्मा का पदार्पण होना ही आत्म जागृति का लक्षण है|
प्रणाम जी
No comments:
Post a Comment