Friday, August 28, 2015

जब बैठे हक दिल में, तब रूह खड़ी हुई जान|
हक आए दिल अरस में, रूह जागे का एह निसान||

जब  परमात्मा  हमारे आत्म हृदय रूपी धाम में विराजमान हो जाते हैं, तब आत्मा जागृत हो गई है, ऐसा समझना चाहिए| इस प्रकार ब्रह्मात्माओं के हृदय में  परमात्मा का पदार्पण होना ही आत्म जागृति का लक्षण है|

प्रणाम जी

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