बुध तुरिया दृष्ट श्रवना , जेती गम वचन ।
उतपन सब होसी फना , जो लो पोहोंचे मन ।। (श्रीमुख वाणी- कि. २७/१६)
बुद्धि, चित्त, मन, दृष्टि, श्रवण और वाणी की पहुँच से वह परब्रह्म सर्वथा परे हैं । यह उत्पन्न होने वाला सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही नश्वर है । इसलिए यहाँ की किसी भी वस्तु से उस परम तत्व को कहा नहीं जा सकता है ।
(वह बृह्म केवल अनुभव का विषय है जो केवल बृह्मआत्मा दृष्टित जीवो को ही सुलभ है बाकी जीव तो केवल उसके नाम रूप पे ही झगडते हैं)
प्रणाम जी
उतपन सब होसी फना , जो लो पोहोंचे मन ।। (श्रीमुख वाणी- कि. २७/१६)
बुद्धि, चित्त, मन, दृष्टि, श्रवण और वाणी की पहुँच से वह परब्रह्म सर्वथा परे हैं । यह उत्पन्न होने वाला सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही नश्वर है । इसलिए यहाँ की किसी भी वस्तु से उस परम तत्व को कहा नहीं जा सकता है ।
(वह बृह्म केवल अनुभव का विषय है जो केवल बृह्मआत्मा दृष्टित जीवो को ही सुलभ है बाकी जीव तो केवल उसके नाम रूप पे ही झगडते हैं)
प्रणाम जी
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