Sunday, September 13, 2015

सुप्रभात जी

 जो भी परमधाम की ब्रह्मसृष्टि हो, वह अपने दिल में परमात्मा का प्यार लेकर उनसे मिलन करे अर्थात् उनका दीदार करके अपने धाम हृदय में उन्हें बसाये। परमात्मा की यह वाणी हृदय में परमधाम के ज्ञान का उजाला करने वाली है। आप सभी सावचेत हो जाइए ताकि इस अलौकिक ज्ञान को पाकर भी जागृत होने का स्वर्णिम अवसर न गंवा सकें।

प्रणाम जी

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