Wednesday, October 21, 2015

मारे लिए दशहरा के क्या मायने है......

सुप्रभात जी

हमारे लिए दशहरा के क्या मायने है आइये जानते है
राम=सत्य
रावण=जड़ प्रकृति (माया)
हनुमान = विवेक
सीता =आनंद (जिसकी प्राप्ति करनी है जिसे रावण ने छुपा रखा है )
हमारे आनंदर जो धारणा  उत्पन्न होती है वही पूरे खेल की रचना करती है ... अर्थात हमारी धारणा ही हमारी रामायण है !
जब हम धारणा में जड़ता का अनुशरण करते है तो हमारे अन्दर ही रावण उत्पन्न हो जाता है जो हमारे ह्रदये (मन चित बुद्धी अहंकार) को अपनी लंका बना कर उसपर शाशन करने लगता है ऐसा होने पर वो सीता का हरन कर  लेता है जो जिस से हम आनंद प्राप्ति से वंचित हो जाते है ये रावण बोहोत  शक्तिशाली है यही हमसे जड़ पूजा करवाता है व सत्ये के आनंद को छिपा के रखता है  इसको पैदा भी हमने ही किया है और इसका वध भी हमे ही करना है पर यह बोहोत  शक्तिशाली है इसलिए इसके वध के लिए हमे राम याने सत्ये (सत्ये केवल परमात्मा है याने चेतन को धारण करना ही सत्ये है ) को अपने अन्दर धारण करना होगा याने हमे अपने अन्दर ही राम को दुंड़ना है जिस से हम रावण का वध कर  सकते है इसके लिए हमे जरुरत होगी हनुमान की याने विवेक की हनुमान हमे बतायेगा की रावण कोन  है और उसने सीता को कहाँ छुपा रखा है हनुमान ही सीता की खोज करेगा जब हमे पता चल जायेगा की सीता कहाँ है तो हम राम याने चेतन को धारण करके अपने जड़ रूपी रावण को समाप्त कर  सकते है जिस से सोने की लंका से याने हमारे हृदये अर्थात अंत:करन से जड़ माया का अंत हो सके और उस कारण सीता स्वतन्त्र हो जायेगी याने हमे आनंद प्राप्ति हो जाएगी तो अगर हमने अपने अन्दर के रावण को नही मारा तो बाहर चाहे कितना भी विजय दशवीं  मना लें उसका कोई फायेदा नही सही मायने में विजय दशवीं तभी होगी जब हम इसे अपने अन्दर ही महसूस करेंगे ...
आप सभी को हमारे अन्दर की विजय दशवीं की शुभ कामनाएं

प्रणाम जी 

No comments:

Post a Comment