देखो नैना नूरजमाल, जो रूहों पर सनकूल ।
अरवाहें जो अरस की, सो जिन जाओ छिन भूल ।।
आत्म कहती है ! परमात्मा के नयनो को अपनी आत्मिक नज़र से देखिए ! परमात्मा के नयन हमेशा ही आत्म पर आनंद ही आनंद बरसाते है तो जो आत्मा आनंद को चाहती हो वो इन नयनो को एक पल के लिए भी ना भूले !!
एक आत्मा कहती है मेने परमात्मा के नयनो को देखा है ..
उनकी आँखों में जैसे ही मेने देखा तो उन्होंने मेरी आँखों से मेरा कलेजा निकाल लिया और एक दम से नही निकला बल्कि धीरे धीरे इस प्रकार निकाला की ये मुझे ही पता है की कैसे वो मेरे कंठ को रुंदता हुवा मेरी आँखों से बहार जाके उनकी आँखों से उनके हृदये में जा मिला इसके बाद तो उनके हृदये का आनंद जैसे वो निरंतर मेरे हृदये में उड़ेलते जा रहे थे और मैं इस प्रकार ठगी सी खड़ी थी की मेरा कोई अस्तित्व ही न हो उन्होंने मेरे हृदये को अपने आनंद का ही हिस्सा बना लिया था उस आनंद की लहरे मुझे बहा के ले जा रही थी और मैं भी बहे जा रही थी उन्होंने अपने नैनो से ही मुझे आनंद का ऐसा खेल दिखाया की मुझे पूरा परमधाम का अनंत आनंद उनके नैनो में ही दिखाई पड़ने लगा ...
प्रणाम जी
अरवाहें जो अरस की, सो जिन जाओ छिन भूल ।।
आत्म कहती है ! परमात्मा के नयनो को अपनी आत्मिक नज़र से देखिए ! परमात्मा के नयन हमेशा ही आत्म पर आनंद ही आनंद बरसाते है तो जो आत्मा आनंद को चाहती हो वो इन नयनो को एक पल के लिए भी ना भूले !!
एक आत्मा कहती है मेने परमात्मा के नयनो को देखा है ..
उनकी आँखों में जैसे ही मेने देखा तो उन्होंने मेरी आँखों से मेरा कलेजा निकाल लिया और एक दम से नही निकला बल्कि धीरे धीरे इस प्रकार निकाला की ये मुझे ही पता है की कैसे वो मेरे कंठ को रुंदता हुवा मेरी आँखों से बहार जाके उनकी आँखों से उनके हृदये में जा मिला इसके बाद तो उनके हृदये का आनंद जैसे वो निरंतर मेरे हृदये में उड़ेलते जा रहे थे और मैं इस प्रकार ठगी सी खड़ी थी की मेरा कोई अस्तित्व ही न हो उन्होंने मेरे हृदये को अपने आनंद का ही हिस्सा बना लिया था उस आनंद की लहरे मुझे बहा के ले जा रही थी और मैं भी बहे जा रही थी उन्होंने अपने नैनो से ही मुझे आनंद का ऐसा खेल दिखाया की मुझे पूरा परमधाम का अनंत आनंद उनके नैनो में ही दिखाई पड़ने लगा ...
प्रणाम जी
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