मैं तो बिगडया विस्वथें बिछुडया, बाबा मेरे ढिग आओ मत कोई।
बेर-बेर बरजत हों रे बाबा, ना तो हम ज्यों बिगडेगा सोई॥
जो भी सत्य मार्गी होगा वह सब आडम्बरो के पत्तो से बने झूठ के महल को सत्य की फूंक से ऐसे ढ़हा देता है जैसे जैसे बच्चे रेत के महल को ढ़हा देते हैं , इसलिय तुम जिस नाव को सत्य समझ कर उस पर बैठ कर डुबते जा रहे हो , वो उस नाव को कभी का छोड कर आगे बढ चुका है , इसलिय वो बिल्कुल शुध्द होकर आगे बढ़ रहा है पर हम अपने झूठ के आवरण को सच मानकर उसके मार्ग को धर्म विरोधी मान बैठते हैं , इसलिय ऐसे सत्य मार्गी का साथ करने से पहले हमें सोच लेना चाहिए कि कया हम असत और हमारे बनाए हुए सत दोनो को छोड सकते हैं कया ? इसलिय कहा है की मैं तो सभी प्रकार के असत्य को छोड कर दुनियां की नज़र से बिगड़ चुका हूं..और एक मात्र परमात्मा के लिय संसार के सभी धर्म व अधर्म को छोड कर सबसे बिछुडं चुका हूं..इसलिय तुम मेरे रस्ते पर मत चलना कयोंकी तुम्हारी नजर में मै अधर्मी भी हो सकता हूं..इसलिय तुम्हे बार बार मना कर रहा हूं अन्यथा तुम भी मेरी तरह बिगड जाओगे...
प्रणाम जी
बेर-बेर बरजत हों रे बाबा, ना तो हम ज्यों बिगडेगा सोई॥
जो भी सत्य मार्गी होगा वह सब आडम्बरो के पत्तो से बने झूठ के महल को सत्य की फूंक से ऐसे ढ़हा देता है जैसे जैसे बच्चे रेत के महल को ढ़हा देते हैं , इसलिय तुम जिस नाव को सत्य समझ कर उस पर बैठ कर डुबते जा रहे हो , वो उस नाव को कभी का छोड कर आगे बढ चुका है , इसलिय वो बिल्कुल शुध्द होकर आगे बढ़ रहा है पर हम अपने झूठ के आवरण को सच मानकर उसके मार्ग को धर्म विरोधी मान बैठते हैं , इसलिय ऐसे सत्य मार्गी का साथ करने से पहले हमें सोच लेना चाहिए कि कया हम असत और हमारे बनाए हुए सत दोनो को छोड सकते हैं कया ? इसलिय कहा है की मैं तो सभी प्रकार के असत्य को छोड कर दुनियां की नज़र से बिगड़ चुका हूं..और एक मात्र परमात्मा के लिय संसार के सभी धर्म व अधर्म को छोड कर सबसे बिछुडं चुका हूं..इसलिय तुम मेरे रस्ते पर मत चलना कयोंकी तुम्हारी नजर में मै अधर्मी भी हो सकता हूं..इसलिय तुम्हे बार बार मना कर रहा हूं अन्यथा तुम भी मेरी तरह बिगड जाओगे...
प्रणाम जी
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