Saturday, February 20, 2016

यामें गुनी ज्ञानी मुनि महंत , अगम कर कर गावें |
सुनें  सीखें पढ़ें पंडित , पार कोई न पावें ||

यहाँ सभी साधू ज्ञानी और अपना शरीर उस परमात्मा के मार्ग पे लगाने वाले लोग बड़ी बड़ी सभाए करके उस परमात्मा को अगम अर्थात मन बुध्दि
से परे बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं , किसी को भी परमात्मा का प्रत्येक्ष अनुभव नही होने के कारण वे केवल उन्ही बातों को सत्ये मानते है जो उन्होंने
सीख ,सुन या पढ़ रखा है इस कारण वे परमात्मा को बहोत दूर समझ कर सत्ये तक नही पहुंच पाते...इसलिए हे साधूजन केवल ऐसे लोगो का सनिध्ये
करना चाहिए जिन्होंने परमात्मा को पा लिया है और जो किताबी ज्ञान से आगे की बात करते हैं ....जो ये जान गये हैं की परमात्मा स्वास नली से भी
नजदीक हैं ....

प्रणाम जी 

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