हकें हाथ हिसाब लिया मोमिनों, तोडया गुमान दे नुकसान ।
तित बैठे अपना अरस कर, ए दिल मोमिन अरस सुभान ।।
परमात्माने ब्रह्मात्माओंका रहन ,सहन ,प्रेम ,पहचान, गहन्तम सत्य का बोध आदी लब अपने हाथमें लिया एवं उनको प्रेमकी परीक्षामें असफल दिखाकर उनके अहङ्कारको भी तोड. दिया. फिर भी उनके हृदयमें वे स्वयं अपना आसन बनाकर बैठ गए. ऐसी ब्रह्मात्माओंके हृदयको ही परमधाम कहा है...
प्रणांम जी
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