पाँच तरह कि पैदाईस का रहस्य
कुरआन के 27 वे सिपारे कि सुरा 55 अरहमान कि आयत 11 से 12 तथा 26-27 मे तीन तरह कि पैदाइस( सृष्टि ) का वर्णन है।इस मे ब्रह्मशृष्टि ( मोमीनों) को अंगूर ,ईश्वरिशृष्टी को खजूर और जीव सृष्टि को भुसा वाला अन्न के रुप मे बर्णित किया गया है।
कुरआन के तिसरे सिपारे को तिलकर्सुल सिपारा भी कहते है।इस मे केवल कुंन कि पैदाइश
का बर्णन आयत 47 मे है,किन्तु तफ्सिर- ए - हुसैनी मे इसि सिपारे की व्याख्या मे 5 तरह कि पैदाइश का वर्णन है।
तफ्सिर- ए - हुसैनी भाग 1 पृष्ठ 75 मे इसका विवरण है ..
आखरुल इमाम महमदं महदी श्री प्राणनाथ जी कि वानी ( श्री कुल्जम स्वरुप) से ईन पाँचों तरह कि पैदाइस का बहुत ही सरल शब्दों मे स्पष्टीकरण हो जाता है जो इस प्रकार है..
1) कुन्नं कि पैदाइश ( जीव सृष्टि )(इस को हिन्दु धर्मशास्तत्रों और ग्रन्थों मे सान्कल्पिक सृष्टि भी कहते है)
2) एक हाथ कि ( रसुल महमंद साहब सल्ल पर सच्चा ईमान लाने वाले)
3) दो हाथ कि ( रुह अल्लाह तथा इमाम महदी अर्थात श्री निजानन्द स्वमी श्री देवचन्द्र जी और श्री प्राणनाथ जि कि वानी पर ईमान लाने वाले।
4) मुल ईप्त्दाए कि ( ब्रह्मशृस्टी कि उत्पती) (मोमीन कि उत्पति खुदा अल्लाह ताअला से)
5) खिलकत कि ( ईश्वरी सृष्टि) ( जिन को उत्पती अक्षर ब्रह्म से होति है...
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प्रणाम जी
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