भया निकाह आदम हवा, दुनी निकाह इबलीस |
ए जाहेर लिख्या फुरमन में, पूजे हवा अपनी खाहिस ||
तिन हवा हिरससे पैदा हुई, अपनी खाहिसें जे |
सो फ़ैल कर जुड़े पड़े, ए जो फिरें दुनियांके फिरके ||
पैदास बीच इबलीस कहया, ए जो आदम की नसल |
पूजे हवा को खुदा कर, दुनियां यह अकल ||
कुरान में लिखा हुआ है की आदम और हवा का निकाह हुआ है, अर्थात यह संसार या प्रक्रति आदम [चेतन] और हवा [जड़] के मेल से बनी है या जड़ और चेतन आपस में बन्धे हुये है , और दुनिया का निकाह इबलीस याने मन से हुआ है ..अर्थात सभी जीव मन से बंधे हुए है इसलिए ये सब अपने मन की सभी कामनाओ की पूर्ति के लिए हवा अर्थात जड़ माया की पूजा करते हैं.
ये जो जड़ प्रकृति से जुड़े जीव हैं शुद्ध आनंद को पाने की लालसा में अज्ञानता के कारण अपने मन की इच्छाओ को पूरा करने के लिए जड़ में ही आनंद ढूंडने लगते है इसलिए इनका आचरण दुैत के प्रभाव के कारण से अलग अलग हो गया है इस कारण इन्होने अपने आनंद की धारणाएं भी अलग अलग बना ली है .इसी लिए अनेक सम्प्रदायों का जन्म हुआ ..
ये जो [आदम] चेतन के विकार से पैदा हुए जीव हैं ये मन के बीच में मन से ही खेल रहे हैं इसलिए ये अपनी मनो कामना पूर्ण करने के लिए हवा अर्थात जड़ को ही खुदा कह कर पूजने लगे है जिस वजह से सबके खुदा अलग अलग हो गये हैं. इस प्रकार यहाँ के जीवों की बुद्धि की पहुँच का अनुमान लगाया जा सकता है ....
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प्रणाम जी
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