गुरू का संबंध कोई पुर्णिमा से नही है, पुर्णिमा तो महिने में एक बार आती है मासिक है, और उसमें भी अंधेरे का आधिपत्य रहता है , गुरू तो सूर्य के समान नित्य है, जिसकि उपस्थिती मात्र से निरंतर अंतरहृदय में अग्यान रूपी अंधेरे का नाश है.....
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प्रणाम जी
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