*आनंद का मार्ग भेद*
तीन चीजें है
१- दृष्य
२-दृष्टा
३-और आप "सवंय"
आप सवंय आनंद अंश हो ,जिसका प्रभाव दृष्टा को दृष्य में दिखता है, और दृष्टा दृष्य में आनंद समझ कर भ्रमित रहता है.. यह भाव ध्यान व भक्ति में रहता है...अर्थात सवयं की विमुखता का आनंद तुम्हे अन्य वस्तुओं में आता है... जबतक सवंय में नही आओगे यह भ्रम बना रहेगा..
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प्रणाम जी
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