Monday, December 26, 2016

*ये मिथ्या है इसमें मत उल्झो...*

चारो वणोॅके नर - नारियोंको चौदह विध्याकी शिक्षा भी माया ही देती हैं . तथापि सबके ह्यदयमें मोह और निद्रा का आवरण डालकर यही माया उनको नचाती रहती हैं .

*चौदह विद्या है:-*
चार वेद ( ऋगवेद , यजुसवेॅद , सामवेद , अथवॅवेद )

छः वेदांग ( शिक्षा , कल्प , व्याकरण ,निरूत्क , ज्योतिष ,  छन्दशास्त्र ) और मिमांसा , न्याय ,धमॅशास्त्र एवं पूराण .

अथवा निम्न चौदह कलाओंको भी चौदह विध्या माना गया है .
नृत्य , संगीत , पढना , सीना , घर सजाना , भाषा सिखना , शस्त्र बनाना , औषधि बनाना ,
चित्रकारी , कढाई , बुनाई , खेती करना , पुष्प सजाना , श्रृंगार करना

परन्तु लोग इन सबमें सवंय का आनंद ढूंड़ने का प्रयास करते हैं..

आज के समय में सबसे ज्यादा भ्रम में डालने वाला संगीत है, जिसमे मिलने वाले सवंय के आनंद को न समझ पाने के कारण लोग उसमें आनंद जानकर भ्रमित व बाह्यमुखि हुये रहते है..
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