किसमें कितनी शक्तियां थी.. कोन कम था कौन ज्यादा..ये सब बातें तोते की तरह रटने से कोई लाभ नही होने वाला, और न ही धर्म ग्रन्थों के शब्दो के अर्थ बता कर इस बात पर बहस करने से कोई लाभ है की मेरे अर्थ तुमसे अच्छे है.. अगर आत्म जाग्रती नही हुई तो ये सब भी तुम्हे नर्क में जाने से नही रोक पायेंगे.. आत्म जाग्रती के पश्चात भी ये सब व्यर्थ है और पहले भी | इससे अलग एक मार्ग और है जो सत्य को जाता है, जो तुम तक आता है, उसकी खोज करो..
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