Monday, December 4, 2017

*जैसे शुक्षम शरीर होता है, क्या वैसे ही सूक्ष्म संसार भी होता है ? अगर हां तो वो क्या है??*

 यह संसार दो प्रकार का है- एक स्थूल, दूसरा सूक्ष्म | शब्दादिक विषय सम्बन्धी जितने भौतिक पदार्थ हैं, वही स्थूल संसार है एवं इन पदार्थों की हृदय में जो बलवती कामना है वही सूक्ष्म संसार है | स्थूल संसार के छोड़ देने से सूक्ष्म संसार नहीं समाप्त होता अर्थात् सांसारिक पदार्थों के परित्याग मात्र से इच्छायें नहीं समाप्त होतीं | किन्तु यदि आत्मबोध हो जाय तो सूक्ष्म संसार अर्थात् इच्छाओं और स्थूल संसार का भान ही नहीं रहता |  इसलिय तू निरन्तर आत्मपद का अभ्यया करने से वासमनाओं का परित्याग अपने आप हो जायगा | नही तो यह जीवन  मुर्खों की भांती जीवन व्यर्थ निकल जायेगा |
Satsangwithparveen.blogspot.com

प्रणाम जी

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