Friday, April 13, 2018

हिंदु ओर मुसलमान

हिंदु कहुॅं तो मैं नहीं मुसलमान भी नाहि पंच तत्व का पूतला गैबी खेले माहि। 

मैं न तो हिन्दु हूॅ अथवा नहीं मुसलमान। क्योंकि हिन्दू ओर मुसलमान ये दोनों है ही नहीं.. ये केवल तुम्हे इसलिए दिखाई देता है क्योंकि तुम अपने को शरीर मानते हो, जब अपने को शरीर मानते हो तो तुम खुदको किसी रूप में देखते हो, जब अपने को किसी रूप में देखते हो तो उस रूप के साथ अपने स्वार्थ भी देखते हो, इसीलिए अपने हित के लिए अपने को किसी समूह में देखते हो, जो आपके हित में नहीं है उसे दूसरे समूह में देखते हो, फिर खुद को हिन्दू या मुसलमान मान कर आपस में ईर्षा करते हो । जब तुम शरीर ही नहीं हो तो हिन्दू ओर मुसलमान भी नहीं हो । इसपाॅंच तत्व के शरीर में केवल अहम ही हिन्दू ओर मुसलमान होकर खेल रहा है ओर तुम्हे नाच नचा रहा है.. पर तुम चिंता ना करो तुम्हे इस से कोई हानि होने वाली नहीं है क्योंकि तुम शुद्ध ओर निर्लिप्त आत्म हो जो इन सबसे परे आनंद में है.. आनंदस्वरूप आत्मा न तो हिन्दुहै और न हीं मुसलमान। हिन्दू ओर मुसलमान जैसा कुछ भी नहीं है ये तो केवल हमारी मान्यता है... अगर तू फिर भी हिन्दू ओर मुसलमान हो तो ये तुम नहीं हो तुम्हारा अहम है । इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चाहते हो तो एक छोटे से बच्चे को तुम समाज से अलग एकांत वास में जवान होने तक रखो ओर फिर जाकर उस से पूछना कि वो क्या है । क्या वो बता पायेगा ? नहीं क्योंकि उसने खुदको ये माना ही नहीं इसलिए वो इनमें से कुछ भी नहीं होता.. अब जरा सोचो कि तुम क्यों हो??

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