चार पदार्थ..
चार पदार्थ पामिया रे , ऐ थी लीजिये धन अखण्ड ।
अवसर आ केम भूलिये , जेथी धणी थाय ब्रह्माण्ड ।।
( श्री मुख वाणी- किरन्तन १२८/४९)
अवसर आ केम भूलिये , जेथी धणी थाय ब्रह्माण्ड ।।
( श्री मुख वाणी- किरन्तन १२८/४९)
अर्थात् चार अनमोल पदार्थ यथा कलयुग , भारतवर्ष , मनुष्य तन और ब्रह्मज्ञान पाकर इन्हें व्यर्थ नहीं खोना चाहिए , अपितु प्रत्येक क्षण का सदुपयोग कर परब्रह्म का साक्षात्कार प्राप्त करना चाहिए ||
1 कलयुग
2 भारतवर्ष
3 मनुष्य तन
4 ब्रह्मज्ञान
1 कलयुग
2 भारतवर्ष
3 मनुष्य तन
4 ब्रह्मज्ञान
कलयुग--कलयुग को इसलिय महत्वपूर्ण माना गया है कयोंकी इसी कलयुग में ब्रह्म ग्यान प्रकट हुवा है ..
बुद्ध स्तोत्र
"" कलियुग ""के प्रथम चरण में वह सच्चिदानन्द परब्रह्म अचानक ही ज्ञान रूप से प्रकट होंगे, जिनके ज्ञान को प्राप्त करके तुम स्वयं भी ज्ञानमयी हो जाना ।।५।।
"" कलियुग ""के प्रथम चरण में वह सच्चिदानन्द परब्रह्म अचानक ही ज्ञान रूप से प्रकट होंगे, जिनके ज्ञान को प्राप्त करके तुम स्वयं भी ज्ञानमयी हो जाना ।।५।।
(हरिवंश पुराण भविष्य पर्व अध्याय ४ )
इसमें कहा गया है कि कभी न होने वाले वे ब्रह्ममुनि ""कलियुग"" में अवतरित होंगे, जो एकमात्र प्रधान पुरुष (अक्षरातीत) के ही आश्रय में रहने वाले होंगे और उनको छोड़कर अन्य किसी की भी उपासना नहीं करेंगे । उनका ग्यान अलौकिक होगा |
इसमें कहा गया है कि कभी न होने वाले वे ब्रह्ममुनि ""कलियुग"" में अवतरित होंगे, जो एकमात्र प्रधान पुरुष (अक्षरातीत) के ही आश्रय में रहने वाले होंगे और उनको छोड़कर अन्य किसी की भी उपासना नहीं करेंगे । उनका ग्यान अलौकिक होगा |
भारतवर्ष--
'बृहद्सदाशिव संहिता' ग्रन्थ के श्रुति रहस्य अध्याय में वर्णन है..
चिदघन स्वरूप परब्रह्म के आवेश से युक्त अक्षर ब्रह्म की बुद्धि परब्रह्म परमात्मा की आतमांओ को जाग्रत करने के लिए तथा सम्पूर्ण लोकों को मुक्ति देने के लिए ""भारतवर्ष""में प्रकट होगी । वह प्रियतम के द्वारा स्वामिनी (श्री श्यामा जी) के हृदय में स्थापित किए जाने पर चारों ओर फैलेगी । (श्रुति रहस्य १८,१९)
'बृहद्सदाशिव संहिता' ग्रन्थ के श्रुति रहस्य अध्याय में वर्णन है..
चिदघन स्वरूप परब्रह्म के आवेश से युक्त अक्षर ब्रह्म की बुद्धि परब्रह्म परमात्मा की आतमांओ को जाग्रत करने के लिए तथा सम्पूर्ण लोकों को मुक्ति देने के लिए ""भारतवर्ष""में प्रकट होगी । वह प्रियतम के द्वारा स्वामिनी (श्री श्यामा जी) के हृदय में स्थापित किए जाने पर चारों ओर फैलेगी । (श्रुति रहस्य १८,१९)
मनुष्य तन-- गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि " बड़े भाग मानुष तन पावा | सुर दुर्लभ सदग्रंथनि गावा ||"
अर्थात बड़े भाग्य से, अनेक जन्मों के पुण्य से यह मनुष्य शरीर मिला है जिसकी महिमा सभी शास्त्र गाते हैं कि यह देवताओं के लिए भी कठिन है |
यह देव-दुर्लभ मानव-तन आपको सौभाग्य से प्राप्त है तो अध्यात्म की दिशा पकड़ें। आप पशु हैं, कीटाणु हैं तो कोई बात नहीं है। ‘आहार निद्रा भय मैथुनं च सामान्य एतद् पशुभि: नराणाम्’– यह तो सबके पास है। परमात्मा तक को प्रसन्न कर लेने की क्षमता केवल मनुष्य शरीर में है।
अर्थात बड़े भाग्य से, अनेक जन्मों के पुण्य से यह मनुष्य शरीर मिला है जिसकी महिमा सभी शास्त्र गाते हैं कि यह देवताओं के लिए भी कठिन है |
यह देव-दुर्लभ मानव-तन आपको सौभाग्य से प्राप्त है तो अध्यात्म की दिशा पकड़ें। आप पशु हैं, कीटाणु हैं तो कोई बात नहीं है। ‘आहार निद्रा भय मैथुनं च सामान्य एतद् पशुभि: नराणाम्’– यह तो सबके पास है। परमात्मा तक को प्रसन्न कर लेने की क्षमता केवल मनुष्य शरीर में है।
ब्रह्मज्ञान--
शब्द ब्रम्हाणि निष्णातो निष्णायात् परे यदि।
श्रमस्तस्य श्रमफलो ह्यधेनुमिव रक्षतः।।
(श्रीमद्भागवत महापुराण ११/११/१८)
प्यारे उद्धव! जो पुरुष वेदों का तो परगामी विद्वान हो परन्तु परमब्रम्ह के ज्ञान( ब्रह्मज्ञान )से शून्य हो, उसके परिश्रम का कोई फल नहीं हैं। वह तो वैसा ही है, जैसे बिना दूध का गाय पालने, वाला..
शब्द ब्रम्हाणि निष्णातो निष्णायात् परे यदि।
श्रमस्तस्य श्रमफलो ह्यधेनुमिव रक्षतः।।
(श्रीमद्भागवत महापुराण ११/११/१८)
प्यारे उद्धव! जो पुरुष वेदों का तो परगामी विद्वान हो परन्तु परमब्रम्ह के ज्ञान( ब्रह्मज्ञान )से शून्य हो, उसके परिश्रम का कोई फल नहीं हैं। वह तो वैसा ही है, जैसे बिना दूध का गाय पालने, वाला..
(पुराण संहिता:३१/५०)
अज्ञानता के अगाध सागर से आत्माओं को निकाल कर परब्रह्म स्वयं अपने कृपा रूपी महासागर में स्नान करायेंगे और अपने अलौकिक ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) से उन्हें जाग्रत करेंगे ।
for more satsang
Satsangwithparveen.blogspot.com
या फेसबुक पर like kren
www.facebook.com/kevalshudhsatye
अज्ञानता के अगाध सागर से आत्माओं को निकाल कर परब्रह्म स्वयं अपने कृपा रूपी महासागर में स्नान करायेंगे और अपने अलौकिक ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) से उन्हें जाग्रत करेंगे ।
for more satsang
Satsangwithparveen.blogspot.com
या फेसबुक पर like kren
www.facebook.com/kevalshudhsatye
प्रणाम जी
No comments:
Post a Comment