एक बार एक पागल व्यक्ति के कपड़ों पर किसी ने इत्र छिड़क दिया, उस पागल को वो खुशबू बोहोत अच्छी लगी, अब लगा वो उसे ढूंडने, उस खुशबू तो आ रही थी पर वो समझ नहीं पा रहा था कि कहां से आ रही है ओर लोग उसे देख कर उसका उपहास कर रहे, उस पागल ने उसे उस इत्र को *बाहर* हर जगह ढूंडा पर उसे बाहर कहीं नहीं मिला, वो जहां भी बाहर ढूंढता लोग उतना ही हंसते, पर लोग उस समय हंस हंस कर जमीन पर गिर पड़े जब वो उस इत्र को ढूंडने गोबर में भी गया। पर शायद हम पागल नहीं है, हम ऐसा नहीं करेंगे...
Happy *गोबरधन* ....
Satsangwithparven.blogspot.com
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