*नित्य लोग धर्म पर विवाद करते हैं, कोई कृष्ण पर तो कोई राम पर, सभी दूसरों को अधर्मी बताते हैं, कृपया बताएं कि उनमें से अधर्मी कोन है ?*
सत्य एक ही है ओर वो निर्विवादित है अर्थात सत्य पर कोई विवाद नहीं है, जिसने सत्य को जान लिया है वो जनता है कि सत्य तेरा मेरा नहीं होता, सत्य वहीं है सदा से, विवाद वहां है जहां सत्य की समझ नहीं है है, सूर्य से ऊष्मा मिलती है क्या इसपर कोई विवाद है ? इसपर विवाद कोन करेगा, जिसने सूर्य देखा ना हो जो सूर्य को जनता ना हो वो इसपर तरह तरह के विवाद करता है । इसलिए जो धर्म से दूर है वही धर्म पर विवाद करता है, तो धर्म क्या है ?
*ध्यान रखो सत्य ही धर्म है, अहम के पार जो स्वयं की सत्य स्थिति है वहीं धर्म है, ओर उस से अलग जो अहम है, जिसका वजूद नहीं है, वही है अ"धर्म", जो स्वयं है, धर्म जानो''*
हमेशा लड़ाई अहम की ही होती है,
*सभीतर प्रकाश की छोटी-सी ज्योति भी हो, तो सारे संसार का अंधेरा पराजित हो जाता है। और, यदि अंदर अहम की परत जमी हो तो इस अंधकार को बाह्याकाश के करोड़ों सूर्य भी उसे नहीं मिटा सकते हैं।*
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