साधना कया है..
जो दृष्मान है वो तो सब साध्य है उसको कया साधना..
साधना तो वो है जो साध्य नही है .. तुम्हे सवंय अर्थात आत्मा या परमात्मा के अलावा और हर वस्तु का अनुभव है, धन, परिवार, साधन, मन व अंतःकरण आदि को तो तुम सदा से साध रहे हो, इनका तुम्हे सदा से अनुभव है..बस अनुभव नही है ते केवल सवंय का,इसी को साधना है बस यही सच्ची साधना है..कयोंकी तुम्हारे अलावा कुछ सच है ही नही.. सवंय को साधना ही सच्ची साधना है..
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