ध्यान कया है??
अनुभव का मूल में लय ही ध्यान है |
सीर्फ आखें बंन्ध करके ही ध्यान नही होता, पर ध्यान के लिय आंखे बन्द करके अभ्यास करना सहायक हो सकता है |
आखें बन्द करके नाद, प्रकाश, लोक लोकान्तर दोखना और प्रमधाम की चितवनी लगाना, या परमात्मा को दोखना ध्यान नही है , ये सब अनुभव हैं, जब ये अनुभव मूल में लय होकर केवल मूल ही शेष रहे तब ध्यान है | एकबार ये हो जाये फिर आखें खुली हो या बंद फर्क नही पड़ता..ध्यान आनंद है, आनंद आप हो, आनंद परमात्मा है, ध्यान आपकी स्भाविक स्थिती है |
Www.facebook.com/kevalshudhsatye
No comments:
Post a Comment