आतम तो फरामोस में, भई आड़ी नींद हुकम|
सो फेर खड़ी तब होवहीं, रूह दिल याद आवे खसम||
आनंद की अंशी आत्मायें याहां विपरीत विषय के संसार में भ्रम की नींद में है| यह नींद भी परमात्मा के आदेश से आवरण रूप में बनी है| जब आत्माओं के हृदय में श्री परमात्मा अर्थात सवंय का विशय का स्मरण हो आएगा, तभी ब्रह्मात्मएँ जागृत हो पाएँगी....
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प्रणाम जी
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