Wednesday, April 12, 2017

*धार्मिकता कितने परकार की है?*

*धार्मिकता दो तरह की, एक प्रयासरत दूसरी प्रयास रहीत*
शुद्ध आनंद में लय के अतिरिक्त जो प्रयास हैं वे सब प्रयास रहीत धार्मिकता है..

अदूैत आनंद में लय ही सही प्रयासरत धार्मिकता है..

ध्यान देना अनुभव केवल *प्रयास रहीत* धार्मिकता में ही होते हैं ओर ये अनुभव भी कई प्रकार के हो सकते है.. कयोंकी इसमें अनुभव लेने वाला उपस्थित होता है..

प्रयासरत में अनुभव नही होता इसमें आनंद होता है..जो हम है, परमात्मा है, ये अदूैत आनंद है ये हमारा आनंद है .. यही हमारा लक्ष्य है..
इसलिय परयासरत रहो ..आनंद मार्ग को चुनो..
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