*पूरा दिन परमात्मा में ध्यान नही रख पाता कई बार सांसारिक कार्य करते हुऐ भूल लग जाती है...कृप्या निवारण किजीय..*
ऐसा उल्टे स्वभाव के कारण है..तुमने अपना स्वभाव उल्टा बना रखा है..कैसे? जो तुम नही हो वो बनकर जो तुम हो वो करना चाहते हो..अर्थात तुम प्राथमिक को अन्य व अन्य को प्राथमिक समझ रहे हो..कहने का अर्थ यह है कि तुम अपने आत्म स्वभाव को करने की सोच रहे हो और जो तुम नही हो वो मानकर सांसारिक कार्य करते हो..
*तो करना कया है?*
बस अपने आत्म भाव को सवंय मान कर कार्य को अन्य समझ कर करना है.. *अर्थात*
पूरा दिन अपने स्वभाव में रहो और कार्य को अन्य समझ कर करो..
बस जो प्राथमिक है उसे प्राथमिकता देनी है और जो अन्य है उसको अन्य समझना है..(यह केवल मार्ग है मंजिल नही है)
Www.facebook.com/kevalshudhsatye
ऐसा उल्टे स्वभाव के कारण है..तुमने अपना स्वभाव उल्टा बना रखा है..कैसे? जो तुम नही हो वो बनकर जो तुम हो वो करना चाहते हो..अर्थात तुम प्राथमिक को अन्य व अन्य को प्राथमिक समझ रहे हो..कहने का अर्थ यह है कि तुम अपने आत्म स्वभाव को करने की सोच रहे हो और जो तुम नही हो वो मानकर सांसारिक कार्य करते हो..
*तो करना कया है?*
बस अपने आत्म भाव को सवंय मान कर कार्य को अन्य समझ कर करना है.. *अर्थात*
पूरा दिन अपने स्वभाव में रहो और कार्य को अन्य समझ कर करो..
बस जो प्राथमिक है उसे प्राथमिकता देनी है और जो अन्य है उसको अन्य समझना है..(यह केवल मार्ग है मंजिल नही है)
Www.facebook.com/kevalshudhsatye
No comments:
Post a Comment