Thursday, October 25, 2018

आनंद की खोज क्या है

अहम के विसर्जन पर जो बच रहता है, वह आनंद है। आनंद माया के विपरीत नहीं चाहा जाता है।

वह उसका विरोधी नहीं है। आनंद है, मायाका न हो जाना। इसलिए आनंद को नहीं खोजना है, केवल अहम को जानना है। सीखा हुआ शास्त्र ज्ञान, इस ज्ञान में बाधा बन जाता है। क्योंकि सीखने सिखाने ओर ज्ञानी होजाने में अहम ही कार्य करता है, क्योंकि बंधे-बंधाये उत्तर स्वानुभूति के पूर्व बेकार के निष्कर्षो से चित्त को भर देते हैं। इन बेकार निष्कर्षो से कोई परिवर्तन नहीं होता है। स्वानुभूति ही मार्ग है। प्रत्येक व्यक्ति को आत्मिक जीवन में वयर्थ ज्ञान के बोझ को उतारकर चलना होता है।होनों के भाव को गहराई से समझना होता है ।

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