धर्म परमात्मा को पाने का नहीं, वरन् नई दृष्टिं, नई चेतना पाने का विज्ञान है। वह तो है ही, हम उसमें ही खड़े हैं, उसमें ही जी रहे हैं। पर आंखें नहीं हैं, इसलिए सूरज दिखाई नहीं देता है। ध्यान देना सूरज को नहीं, आंखों को खोजना है।
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