Saturday, August 29, 2015



हे मेरी आत्मा ! तूं इस झूठे संसार को देख रही है, इसलिये तुम्हारे और परमात्मा के बीच अलगाव का आभास हो रहा है। वस्तुतः वे तो तुमसे रंच मात्र भी अलग नहीं है, बल्कि शाहरग (प्राण नली) से भी अधिक निकट हैं। माया की इच्छा के कारण तुमने ही अपने और परमात्मा के बीच में परदा कर लिया है। तारतम ज्ञान के प्रकाश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आत्मा और परमात्मा के बीच किसी भी प्रकार का भेद नहीं है।

प्रणाम जी

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