Wednesday, February 10, 2016

वाणी

दिल दिलगीरी छोड दे, होत तेरा नुकसान।
जानत है गोविंद भेडा, याको पीठ दिए आसान।।

तुम हृदयकी हताशाको छोड. दो, कयोंकी हम सारा जीवन अपनी बुराइयों को मिटाने में ही लगा देते हैं और उनके न मिटने पर हताशा में जीवन गवां देते हैं, हमारा जीवन बेकार की उधेड-बुन में निकल जाता है यह हमारे आत्मकल्याण के मार्ग लिय बहोत गहरी क्षती है, इससे तो तुम्हें हानि ही हो रही है. यह संसार गोविन्द भेडा (भूतनगरी) के समान है. इनसे उलझोगेतो तुम्हे भी भूत बन्ना पडेगा अर्थात एक परमात्मा के अलावा अन्य किसी भी वस्तु या विषय को अंतःकरण में रखने से तुम अपने मार्ग से विमुख हो जाओगे ..इसका सबसे सरल उपाय है की तुम आंतरिक रूप से सबको पीठ देकर केवल परमात्मा को धारण करके नाक की सीध में अपने मार्ग पर बढते जाओ और बहर से सबसे उनके वांछित व्यवहार करते रहो ..इस से ही परमधामका मार्ग सरल बनेगा.

प्रणाम जी

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