Sunday, May 1, 2016

इन हक का इसक दुनी मिने, न पाइए लदुन्नी बिन|
बिना इसक न इलम आवही, दोऊ तौले अरस परस वजन||
(सागर)

वस्तुतः तारतम धारणा के बिन इस नश्वर जगत में परब्रह्म परमात्मा के शाश्वत दूैत में अदूैत प्रेम का अनुभव नहीं किया जा सकता| यद्यपि प्रेम के बिना सत्य पहचान प्राप्त नहीं हो सकती, किन्तु दोनों की तुलना करने पर ज्ञात होता है कि दोनों का पारस्पररिक गहन व समान महत्त्व है...

प्रणाम जी

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