Friday, May 6, 2016

खुली किताब है परमात्मा तुम पढ़ो तो सही
तुम्हे जकडा है खुदके बनाऐ खुदाने, ऐ पत्ते बहोत आनंद है उन्मुक्त हवा में तुम झड़ो तो सही..

अपना ग्यान मत दबाओ किसी के कहने पर, मत ढ़ंडो भाहर फूटनेदो खुदका अंकुर, खुदसे ही निकलेगी यह धारा, कभी खुदपे अड़ो तो सही
खुली किताब है परमात्मा तुम पढ़ो तो सही..

बेफिक्र मस्ताना बनजा, चट्टान बन लहरों से तनजा, खुदकी कश्ती से भी पार पहुंचते हैं ऐ राही,किनारो कि परवाह छोडकर प्रवीण तुम बढ़ो तो सही..
ऐ पत्ते बहोत आनंद है उन्मुक्त हवा में तुम झड़ो तो सही..
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प्रणाम जी

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