सुप्रभात जी
तुम्हारा किसी से भी संयोग नहीं है, तुम आत्मा हो शुद्ध आनंद स्वरूप व चेतन जबकी यह संसार जड व दुख का घर है इसलिय तुम्हारा इस से संयोग कैसे हो सकता है.. तुम शुद्ध हो, जब तुम्हारा और संसार का मेल ही नही है तो तुम क्या त्यागना चाहते हो, इस (अवास्तविक) मेल को समाप्त कर के ब्रह्म से योग (एकरूपता) को प्राप्त करो॥
www.facebook.com/kevalshudhsatye
प्रणाम जी
तुम्हारा किसी से भी संयोग नहीं है, तुम आत्मा हो शुद्ध आनंद स्वरूप व चेतन जबकी यह संसार जड व दुख का घर है इसलिय तुम्हारा इस से संयोग कैसे हो सकता है.. तुम शुद्ध हो, जब तुम्हारा और संसार का मेल ही नही है तो तुम क्या त्यागना चाहते हो, इस (अवास्तविक) मेल को समाप्त कर के ब्रह्म से योग (एकरूपता) को प्राप्त करो॥
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