Wednesday, May 31, 2017

*कृपया संकिर्ण मानसिकता वाले ये लेख ना पढ़ें*

जागनी या जाग्रती कया है??

शारीरिक भाव से आत्मिक अनुभव में आना जागर्ती है.. जागनी शारीरिक बंधनो सेे निकल कर आत्मिक उन्मुक्तता में आने का नाम है..आत्मिक पहचान होना जागनी है.. जागनी से शरीर के निमित सभी बन्धन जैसे सम्प्रदायवाद, जप, स्थानवाद, चित्रवाद, आदी आदी सभी बंधन स्वतः ही छूट जाते हैं इन्हे छोडना नही पड़ता..

जागनी कया नही है..
*पायो निजनाम आत्मा जागी* गाने से जाग्रती नही आती, हां इसके पिछे जो भाव है वो जरूर जाग्रती से सबंध रखता है...भाव यह है की पायो नित नाम अर्थात
निज= सवंय
नाम= पहचान
*सवंय की पहचान होने से आत्म जागर्ती या जागनी होती है* ( पायो निजनाम आत्मा जागी)
इसका भाव न जानने के कारण शब्दो को पकड़ कर खुद के बंधन बढ़ा लेते है...अपने को और नये नियमों में बांध लेते हैं..
निष्कर्ष यह है की हमें जागनी समझे जाने वाले सभी बंधनो को त्याग कर आत्म जाग्रती की और बढ़ना ही पड़ेगा..
*जो अनभिज्ञ हैं कि वे अँधेरे में चल रहे हैं वे कभी प्रकाश की तलाश नहीं करेंगे।*
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