*लोग दीपावली को लक्ष्मी पूजन करते है, वैसे लक्ष्मी की सही पूजा कैसे करें व लक्ष्मी का सही अर्थ बताएं*
दीपावली के दिन जो पूजा होती है उसे लक्ष्मी पूजन कहा जाता है। आज ज्यादातर लोग समझते हैं कि लक्ष्मी का अर्थ है धन की देवी। ये लक्ष्मी शब्द का बहुत संकुचित अर्थ हो गया। वास्तव में इस शब्द का अर्थ बहुत विशाल है। लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की लक्ष धातु से हुई है। लक्ष का शाब्दिक अर्थ है ध्यान लगाना, ध्येय बनाना, ध्यानपूर्वक निरीक्षण करना इत्यादि। इसका अर्थ ये है कि जब हम एकाग्रचित्त होकर कोई कार्य या साधना करते हैं तो उसका जो फल प्राप्त होता है उसे लक्ष्मी कहते हैं, इसी फल को धन के नाम से संबोधित करते है। जैसे आगर आप अदूैत भाव में साधना करते है तो उसकेफलस्वरूप जो आप अदुैत मे एकरसता को प्राप्त करते है वह एकरसता अदुैत भाव में तो शब्दातीत भाव है पर शब्दो में कहें तो यह उस साधना का फल है, अर्थात यह उसका धन है, जो कभी समाप्त नहीं होगा,इस फल को ही या साधना के उस फलस्वरूप भाव को ही लक्ष्मी कहते है...यही सही लक्ष्मी पूजन है। इस लक्ष्मी पूजन से वो धन प्राप्त होगा जो कभी समाप्त नहीं होगा।
*अतः धन, मूर्ती या अन्य बाह्य साधनो से पूजा करके लक्ष्मी के भाव को तुच्छ ना बनायें अपितु इसका व्यापक अर्थ ग्रहण करें..*
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दीपावली के दिन जो पूजा होती है उसे लक्ष्मी पूजन कहा जाता है। आज ज्यादातर लोग समझते हैं कि लक्ष्मी का अर्थ है धन की देवी। ये लक्ष्मी शब्द का बहुत संकुचित अर्थ हो गया। वास्तव में इस शब्द का अर्थ बहुत विशाल है। लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की लक्ष धातु से हुई है। लक्ष का शाब्दिक अर्थ है ध्यान लगाना, ध्येय बनाना, ध्यानपूर्वक निरीक्षण करना इत्यादि। इसका अर्थ ये है कि जब हम एकाग्रचित्त होकर कोई कार्य या साधना करते हैं तो उसका जो फल प्राप्त होता है उसे लक्ष्मी कहते हैं, इसी फल को धन के नाम से संबोधित करते है। जैसे आगर आप अदूैत भाव में साधना करते है तो उसकेफलस्वरूप जो आप अदुैत मे एकरसता को प्राप्त करते है वह एकरसता अदुैत भाव में तो शब्दातीत भाव है पर शब्दो में कहें तो यह उस साधना का फल है, अर्थात यह उसका धन है, जो कभी समाप्त नहीं होगा,इस फल को ही या साधना के उस फलस्वरूप भाव को ही लक्ष्मी कहते है...यही सही लक्ष्मी पूजन है। इस लक्ष्मी पूजन से वो धन प्राप्त होगा जो कभी समाप्त नहीं होगा।
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प्रणाम जी
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