*सतगुरु के विषय में लोगों में अनेक भ्रम हैं, कृपया बताएं कि गुरु कौन है ।*
परमात्मा को ही सतगुरु कहते हैं, सतगुरु और परमात्मा ये दो नही है, अगर कोई दूसरी वस्तु है तो वह है यह शरीर व अहं | गुरू को शरीर की परिधियो में सिमित करना अल्पग्यता है गुरू और परमात्मा को अलग मान्ना अल्पग्यता है,
*तो गुरुतत्व कया है?*
जब हम आनंद की और आकृषित होते है अर्थात सत्य मार्ग की और चलते हैं तो इसे ही अंधेरे से प्रकाश की और चलना कहते है, एक बात और ध्यान देना की अंधेरे में केवल प्रकाश के कारण ही हम मार्ग खोज सकते हैं, ये प्रकाश ही आनंद है यही प्रमात्मा है, और यही गुरू है, इसको समझने के लिय शरीर और अहं भाव से बाहर आना होगा, इसके पश्चात ही सवंय,परमात्मा या सतगुरू को प्राप्त कर पाओगे..
परमात्मा को ही सतगुरु कहते हैं, सतगुरु और परमात्मा ये दो नही है, अगर कोई दूसरी वस्तु है तो वह है यह शरीर व अहं | गुरू को शरीर की परिधियो में सिमित करना अल्पग्यता है गुरू और परमात्मा को अलग मान्ना अल्पग्यता है,
*तो गुरुतत्व कया है?*
जब हम आनंद की और आकृषित होते है अर्थात सत्य मार्ग की और चलते हैं तो इसे ही अंधेरे से प्रकाश की और चलना कहते है, एक बात और ध्यान देना की अंधेरे में केवल प्रकाश के कारण ही हम मार्ग खोज सकते हैं, ये प्रकाश ही आनंद है यही प्रमात्मा है, और यही गुरू है, इसको समझने के लिय शरीर और अहं भाव से बाहर आना होगा, इसके पश्चात ही सवंय,परमात्मा या सतगुरू को प्राप्त कर पाओगे..
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