आत्मज्ञान एक समझ है सत्य को वैसे ही स्वीकारने की जैसा वो है, यह समझ है कि यही सब कुछ है, यही बिलकुल सही है , बस यही है. आत्मज्ञान कोई उपलब्धि नहीं है, यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है.
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