Saturday, December 23, 2017

*सन्यास क्या है*

प्रकाश के आगमन पर अंधेरा चला जाता है । ऐसे ही ज्ञान के आगमन पर आंतरिक अवस्था में जो भी व्यर्थ है, वह बह जाता है और तब जो शेष रह जाता है वह संन्यास है ।
संन्यास का अर्थ है, यह बोध कि मैं शरीर ही नहीं हूं आत्मा हूं । इस बोध के साथ ही भीतर आसक्ति और मोह नहीं रह जाता है । इसी को सन्यास कहते है, यह आंतरिक आस्था है, अगर यह अवस्था है तो आप घर में रहो या हिमालय पर , वस्त्र भगवा पहनो या आधुनिक, बाल छोटे रखो या बड़े, काले रखो या सफेद, कोई फ़र्क नहीं पड़ता । ओर अगर ये नहीं है तो भी चाहे कुछ भी करलो कोई लाभ नहीं है ।
Satsangwithparveen.blogspot.com

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