Monday, December 25, 2017

*कृपया ऐसा कोई उपाय बताएं कि में जीवन मृत्यु से मुक्त हो जाऊं, मुझे बार बार मृत्यु का सामना ना करना पड़े ।*

मृत्यु से घबराकर हमने परमात्मा का अविष्कार कर लिया है । भय पर आधारित परमात्मा से असत्य और कुछ भी नहीं है। सारी उम्र मृत्यु के भय में अपना परमात्मा बना के उसके सहारे जीवन बिता देते हो, झूठ से बचने के लिए झूठ का सहारा लेते हो तो शत प्रतिशत तुम फसने वाले हो झूठे मृत्यु के जाल में क्योंकि अंधेरा अंधेरे का इलाज नहीं है । तुम मरोगे नहीं, यही सत्य है, यही सत्य का पहला कदम है । क्योंकि अगर तुम मर जाते तो जो तुम आज हो ये कोन है ?
समाप्त होने के बाद क्या तुम दोबारा वन गए ? नहीं, 
जो समाप्त हुआ था वो दोबारा नहीं बना, ओर जो समाप्त नहीं हुआ था वहीं आज मृत्यु से डर रहा है । जिसकी मृत्यु नहीं हुई थी, जो आज है, वह कल भी रहेगा, फिर झूठे भय में क्यों झूठ का सहारा लेकर झूठ का जाल बना कर उसमे उलझते हो । तुम नहीं मरोगे ये सत्य है, अब इसी सत्य से अपना सफर शुरू करो । सत्य को धारण करके सत्य को उपलब्ध हो जाओ । नहीं तो झूठे मृत्यु का भय दिखा कर कोई भी पाखंडी तुम्हे अपना दास बना लेगा । जैसे अनेक लोगों को बना रखा है ।
Satsangwithparveen.blogspot.com

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