Tuesday, September 15, 2015

परमात्मा के नयन कैसे है

भृकुटी स्याम सोभा लिए, चूभ रेहेत रूह अंदर 7/14सिंगार
जोत धरत कै जुगतें, निहायत मान भरे ।
लज्या लिए पल पापन, आनंद सुख अगरे ।।8/14 सिंगार

परमात्मा के नयन कैसे है

 इश्क रस से भरे रूह को आनंद देने वाले है और जब परमात्मा अदा से नयन घुमाते है तो रूह को मीठे लगते है !
तेजोमई तारो से शोभित परमात्मा के नयन कमलो मे कई सुख है आनंद है ! परमात्मा जब अपने तिरछे नयनो से अपनी प्यारी रूह को निहारते है तो प्रेम रूपी बाण से रूह घायल हो उन पर सब अंगो कुर्बान हो जाती है !
परमात्मा के नयन अति सुन्‍दर है  रूहो पर मेहरबान है और उनकी काली काली भौंहो से तो प्यारी रूह निकल ही नही पाती!
परमात्मा नेनन के तारो पुतलियो बरोनियो मे तेज है और इस तेज मे उल्लास की चमक है इश्क ही इश्क की जोति है ! इनमे मान है जब  रूह एक कदम बड़ा मासूक परमात्मा की और जाती है उनके नयनो को निहारती है तो वे अपने दिल का सारा प्रेम आशिक रूह पर लूटा देते है ! उनकी पलको की बरोनियो मे लज्जा समाई है ...

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment