Sunday, July 24, 2016

आनन्दस्य कुलं प्राप्तं नित्येधाम्नी प्रकिर्तितम । सम्प्रदायश्चिदानन्दो निजानंदै: प्रकाशित: ।।
(श्री माहे०तं० २८)

गहनअर्थ -आत्मसाक्षातकार के द्वारा पूर्ण आनन्द परमात्मा मे सदा स्थित रहने वाले ब्रह्ममुनियों का एक मायातीत "समूह" कलयुग में जाहिर या अवतरित होगा आंतरिक दृष्टि न होने के कारण संसार के लोग भविष्य मे उन्हे केवल सम्प्रदाय मात्र मान कर उन्हे केवल निजानंद सम्प्रदाय के नाम से जानेंगे पर जो उनको पहचान कर उनके गहन व अलौकिक अदूैत ग्यान को ग्रहण करेंगे उन सभी को आत्मसाक्षात्कार होगा ..
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment