वंदनीय है उपनिषत , यामे ज्ञान महान।
श्याम प्रेम बिनु ज्ञान सो , प्राणहीन तनु जान।।
भावार्थ - उपनिषत् का ग्यान महान हैं। अतः वन्दनीय हैं। उनमें अनंत ज्ञान भरा पड़ा है। उपनिषद के ग्यान को दंडवत प्रणाम है..किन्तु अगर किसी भी ग्यान से परमात्मा का प्रेम नहीं बढ़ता तो वह ज्ञान , प्राणहीन शरीर के समान है।
प्रणाम जी
श्याम प्रेम बिनु ज्ञान सो , प्राणहीन तनु जान।।
भावार्थ - उपनिषत् का ग्यान महान हैं। अतः वन्दनीय हैं। उनमें अनंत ज्ञान भरा पड़ा है। उपनिषद के ग्यान को दंडवत प्रणाम है..किन्तु अगर किसी भी ग्यान से परमात्मा का प्रेम नहीं बढ़ता तो वह ज्ञान , प्राणहीन शरीर के समान है।
प्रणाम जी
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