सुप्रभात जी
अपने विचारो को अंधश्रद्धा के ताले में बंध मत करो बल्कि उन्हें हमेशा तार्किक स्वीकार्ये अवस्था में रखने से धार्मिक उन्नति अधिक तीव्र गति से होती हैं...
ध्यान दें हमारा ये जीवन आत्मकल्याण के लिय हुआ है इसे संकिर्ता मे बंध कर व्यर्थ ना करें...
प्राणाम जी
अपने विचारो को अंधश्रद्धा के ताले में बंध मत करो बल्कि उन्हें हमेशा तार्किक स्वीकार्ये अवस्था में रखने से धार्मिक उन्नति अधिक तीव्र गति से होती हैं...
ध्यान दें हमारा ये जीवन आत्मकल्याण के लिय हुआ है इसे संकिर्ता मे बंध कर व्यर्थ ना करें...
प्राणाम जी
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