सुप्रभात जी
भगवद्गीता में कहा गया है
एवं बूद्धे: परं बुद्धवा संस्तभ्यात्मानमात्मना।
अर्थात् इस प्रकार बुध्दि से परे आत्मा को जानकर , आत्मा के द्वारा आत्म को वश में करके अर्थात आत्म भाव मे आना (अपने जीव पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है) यही योग है।
प्रणाम जी
भगवद्गीता में कहा गया है
एवं बूद्धे: परं बुद्धवा संस्तभ्यात्मानमात्मना।
अर्थात् इस प्रकार बुध्दि से परे आत्मा को जानकर , आत्मा के द्वारा आत्म को वश में करके अर्थात आत्म भाव मे आना (अपने जीव पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है) यही योग है।
प्रणाम जी
No comments:
Post a Comment