एक युवक ने किसी साधु से पूछा था, 'मोक्ष की विधि क्या है?' उस साधु ने कहा, 'तुम्हें बांधा किसने है?' वह युवक एक क्षण रुका, फिर बोला, 'बांधा किसी ने भी नहीं है।'
तब उस साधु ने पूछा, 'फिर मुक्ति क्यों खोजते हो?'
'मुक्ति क्यों खोजते हो?' यही प्रत्येक को अपने से पूछना है। बंधन है कहां? जो है, उसके प्रति जागो। जो है, उसको बदलने की फिक्र छोड़ो। जो भविष्य में है, वह नहीं, जो वर्तमान है, वही तुम हो। और वर्तमान में कोई बंधन नहीं है। वर्तमान के प्रति जागते ही बंधन नहीं पाये जाते हैं।
कुछहोने और कुछ पाने की आकांक्षा ही बंधन है, वही तनाव है, वही दौड़ है, वही संसार है।
मोक्ष की शुरुआत अभी से करनी होती है। वह अंत नहीं, वही प्रारंभ है।
मोक्ष पाना नहीं है, वरन् दर्शन करना है कि मैं मोक्ष में ही खड़ा हूं। मैं मुक्त हूं, यह बोध शांत जाग्रत चेतना में सहज ही उपलब्ध हो जाता है। प्रत्येक मुक्त है- केवल इस सत्य के प्रति जागना मात्र है।
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Sunday, July 1, 2018
मुक्ति
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