सत्य के प्रति लगाव होने के साथ यह भी जरुरी है कि हम अपने द्वारा मान लिए गए सत्य के प्रति भी सजग रहे| ऐसा न होने पर सत्य अंधविश्वाश बन जाता है , जो विनाशकारी होता है, किसी का बताया हुए ओर पुस्तकों से पढ़ा हुआ सत्य नहीं होता । सत्य आपमें ही है । केवल शुद्ध सत्य को प्राप्त करो ।
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