Saturday, February 13, 2016

सुप्रभात जी

पुर्णबृह्म परमात्मा ने इस संसार में गुप्त रूप से लीला की पर हम केवल अवतार वाद में उलझ कर मूल तत्व को नही समझ पाये इसलिय उनके वजूदो (शरीरों) को ही परमात्मा समझ कर अपने अपने परमात्मा बना कर बैठ गये व अग्यानता वश आपस में झगडने लगे । पहले उन्होंने श्री कृष्ण के तन में लीला की, जिसके फलस्वरूप लाखों लोग "कृष्ण-कृष्ण" जपते हुए आज भी उनके मधुर प्रेममय स्वरूप पर बलिहारी जाते हैं । उनके द्वारा भेजे गए सत् अंग श्री अक्षर ब्रह्म ने अरब में उनकी महिमा गाई और आज करोड़ों लोग इस्लाम की राह पर चल रहे हैं । उनकी कृपा से श्री श्यामा जी ने जामनगर में तारतम ज्ञान प्रकट किया । श्री श्यामा जी के दूसरे तन (श्री मिहिरराज) में श्री इन्द्रावती जी के हृदय में विराजमान होकर सच्चिदानन्द पुर्णबृह्म परमात्मा ने खुलकर संसार के सामने सम्वत् १७३५ में जाहेर हो गय...  👇👇
(परमधाम की आत्मायें सुन्दरी और इन्दिरा (श्यामा जी और इन्द्रावती जी) जिन दो तनों में प्रकट होंगी, उनके नाम चन्द्र और सूर्य (देवचन्द्र और मिहिरराज) होंगे । तथा इनके अन्दर साक्षात् परब्रह्म विराजमान होकर लीला करेंगे, जिससे माया के अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो जाएगा । *पूराण संहीता ,३१/५२-७० का सारांश*)
पर ज्ञान के अभाव व माया के प्रभाव के कारण लोग इन  लीलाओं के पीछे परमात्मा के असली स्वरूप की पहचान नहीं कर पाये ।
इसलिय परमात्मा के मूल तत्व का बोध होना परम आवश्यक है...for more click 👇
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प्रणाम जी

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