सुप्रभात जी
पूर्णब्रह्म परमात्मा एक ही हैं किन्तु विभिन्न जाति तथा सम्प्रदाय वाले उनको भिन्न-भिन्न नामसे पूजते हैं. वस्तुतः एक परमात्माके अतिरिक्त इस संसारमें अन्य कोई कहीं भी नहीं है.सभी जातिके लोग एक ही परमात्माको भिन्न-भिन्न नामोंसे पुकारते हैं परन्तु परमात्मा (स्वामी) तो सबका एक ही है. पूजा भी सभीको इन्हींकी करनी है परन्तु विवेकके अभावसे सभी परस्पर कलह करते हैं ..
कइ बार तो एक ही समप्रदाय के लोग भी सत्य के अभाव में उसके अलग अलग नामों पे झगडते हैं.
प्रणाम जी
पूर्णब्रह्म परमात्मा एक ही हैं किन्तु विभिन्न जाति तथा सम्प्रदाय वाले उनको भिन्न-भिन्न नामसे पूजते हैं. वस्तुतः एक परमात्माके अतिरिक्त इस संसारमें अन्य कोई कहीं भी नहीं है.सभी जातिके लोग एक ही परमात्माको भिन्न-भिन्न नामोंसे पुकारते हैं परन्तु परमात्मा (स्वामी) तो सबका एक ही है. पूजा भी सभीको इन्हींकी करनी है परन्तु विवेकके अभावसे सभी परस्पर कलह करते हैं ..
कइ बार तो एक ही समप्रदाय के लोग भी सत्य के अभाव में उसके अलग अलग नामों पे झगडते हैं.
प्रणाम जी
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